Author: Rajeev Agrawal

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संपादक: राजीव अग्रवाल, धर्मजयगढ़ - "ताज़ा खबरें, सटीक जानकारी! हमारे न्यूज़ पोर्टल पर पाएं देश-विदेश, राजनीति, खेल, मनोरंजन और व्यापार से जुड़ी सबसे नई और विश्वसनीय खबरें, बिल्कुल तेज़ और सही अंदाज़ में।"

धरमजयगढ़ —अंबुजा सीमेंट लिमिटेड की प्रस्तावित पुरुँगा कोल ब्लॉक जनसुनवाई को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज कोयला प्रभावित क्षेत्र के पुरुँगा, तेन्दुमुड़ी और सम्हारसिंघा ग्रामों के ग्रामीण बड़ी संख्या में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय धरमजयगढ़ पहुंचे और आगामी 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीणों ने उस ग्रामसभा प्रस्ताव की प्रति मांगी, जिसके आधार पर जनसुनवाई का आयोजन तय किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें बताया गया कि उक्त प्रस्ताव की प्रति रायगढ़ जिला मुख्यालय में उपलब्ध है। इस जानकारी से…

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आगामी 11 नवंबर को धरमजयगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत पुरुँगा कोयला खदान की प्रस्तावित जनसुनवाई को लेकर विरोध लगातार तेज़ होता जा है, प्रभावित ग्राम पुरुँगा, तेन्दुमुड़ी, साम्हरसिंघा और कोकदार के ग्रामीण जनसुनवाई निरस्त करने की मांग पर अडिग हैं। गुरुवार को जब कंपनी के कुछ प्रतिनिधि ग्रामीणों से संवाद स्थापित करने और परियोजना का पक्ष रखने के लिए पुरुँगा पहुंचे, तो ग्रामीणों ने पहले उनकी बातें ध्यान से सुनीं, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर माहौल अचानक गर्म हो गया। ग्रामीणों के सवालों का ठोस उत्तर न दे पाने पर महिलाएँ बुरी तरह भड़क उठीं और कंपनी प्रतिनिधियों को फटकार…

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रायपुर – छत्तीसगढ़ में जिला खनिज न्यास निधि (DMF) घोटाले को लेकर आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की टीम ने आज राज्यभर में एक साथ बड़ी कार्रवाई की। टीम ने रायपुर, दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव और धमतरी सहित कुल 14 स्थानों पर छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई EOW के अपराध क्रमांक 02/2024 के अंतर्गत की गई है, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धाराएँ 7 और 12 सहित भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120बी, 467, 468 और 471 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। छापेमारी के दौरान टीम ने डिजिटल साक्ष्य, बैंक स्टेटमेंट्स, चल-अचल संपत्तियों से…

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धरमजयगढ़ – अदाणी समूह के पुरुँगा कोल ब्लॉक परियोजना से स्थानीय लोगों को “हजारों रोजगार” मिलने का जो दावा किया जा रहा है, उसके पीछे के आधिकारिक आँकड़े एक अलग ही कहानी बयान कर रहे हैं। परियोजना की रिपोर्ट के अनुसार निर्माण चरण में मात्र 50 स्थायी और संचालन चरण में 400 स्थायी रोजगार सृजित होंगे। यानी इतनी विशाल कोयला परियोजना के लिए जो भूमि, जंगल और जनजीवन दाँव पर लगे हैं, उनके मुकाबले रोजगार का लाभ नगण्य हैनिर्माण चरण : केवल 50 स्थायी रोजगारजानकारी के अनुसार निर्माण काल में कुल 50 लोगों को स्थायी नौकरी मिलेगी।कार्यकाल 660 दिनों का…

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धरमजयगढ़ में आज जनता का सैलाब उमड़ पड़ा — पुरुँगा, साम्हारसिंघा और तेन्दुमुड़ी पंचायतों के हज़ारों ग्रामीणों ने अपनी ज़मीन, जंगल और हक़ की लड़ाई के लिए सड़क पर उतरकर कंपनी और प्रशासन दोनों को खुला संदेश दे दिया कि अब “फैसला कागज़ों से नहीं, जनता की आवाज़ से होगा।” सुबह से ही ट्रैक्टरों, बाइक और चारपहिया वाहनों में भरकर भीड़ धरमजयगढ़ पहुंचने लगी। रैली में विधायक लालजीत सिंह राठिया, तीनों ग्राम पंचायतों के सरपंच, उपसरपंच और अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल रहे। ग्रामीणों की यह रैली नारेबाजी करते हुए पहले जनपद पंचायत कार्यालय, फिर डीएफओ कार्यालय और आखिर में एसडीएम…

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अब जंगल, झाड़ और जनजीवन सब खतरे में – पुरुँगा कोल ब्लॉक के नाम पर जिस विकास का सपना दिखाया जा रहा है, वह अब गाँवों की नींद उड़ाने लगा है। कंपनी की नज़र अब सिर्फ कोयले पर नहीं, बल्कि उस ज़मीन पर है जो पीढ़ियों से आदिवासियों की जीवन-रेखा रही है! वन भूमि, राजस्व भूमि, और यहाँ तक कि आदिवासियों को दिये गये वन अधिकार पट्टे पत्र धारी भी अब कंपनी की जद में आ चुके हैं। छोटे-बड़े झाड़ और घने पेड़ों से सजे जंगल, जो अब तक गाँवों की सांसों का सहारा थे, उन्हें “आधारभूत संरचना के नाम…

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धरमजयगढ़ – पुरुँगा कोल ब्लॉक परियोजना के भूमि निर्धारण रिपोर्ट ने एक बार फिर इस खदान को लेकर उठ रहे पर्यावरणीय सवालों को और गहरा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना के कुल 868.99 हेक्टेयर क्षेत्र में से सबसे बड़ा हिस्सा वनभूमि के अंतर्गत आता है, जो परियोजना के पर्यावरणीय संतुलन पर सीधा प्रहार माना जा रहा है। प्राप्त दस्तावेज़ बताते हैं कि पुरुँगा, कोकदार और सामररसिघा — इन तीन गाँवों की ज़मीन इस परियोजना के दायरे में आती है। इनमें से सबसे अधिक 387.01 हेक्टेयर भूमि संरक्षित वन के रूप में दर्ज है, जबकि 234.32 हेक्टेयर राजस्व वन…

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धरमजयगढ़ – अंबुजा सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड अपने प्रस्तावित सीमेंट कारखाने के लिए रेलमार्ग से कोयला परिवहन की बात कह रही है, परंतु इसके कई पहलू अब भी संदिग्ध और अनसुलझे हैं। कंपनी के गंतव्य स्थल, संयंत्र तक पहुंचने वाले रेल मार्ग और इस पूरी परियोजना के नियोजन पर गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी सिर्फ अपने लाभ के लिए आगे बढ़ रही है, लेकिन उसके पास न तो स्पष्ट जवाब हैं और न ही पारदर्शी दस्तावेज। सबसे बड़ा सवाल यह है कि रेल लाइन का अंतिम बिंदु तय किस आधार पर किया गया है?…

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पुरुँगा कोयला खदान प्रभावित क्षेत्र में आजकल नेता दो तरह के नज़र आ रहे हैं —पहली किस्म: “जहाँ चौपाल, वहाँ हाजिरी”दूसरी किस्म: “जहाँ एसी, वहीं मौजूदगी” एक पार्टी के माननीय तो हर बैठक में ऐसे सक्रिय हैं जैसे कोल ब्लॉक के गांव नहीं, उनका अपना घर खतरे में हो। कभी खेत में, कभी खदान के किनारे, तो कभी ग्रामीणों के आँगन में कुर्सी खींचकर सीधा संवाद, मानो जनता का दर्द उनका पर्सनल वाई फाई हो, हर समय कनेक्टेड। और उधर दूसरे दल के नेताजी…जनता के बीच जाने का नाम सुनते ही चेहरा ऐसा हो जाता है जैसे किसी ने मुफ़्त…

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मेसर्स अंबुजा सीमेंट लिमिटेड द्वारा संचालित पुरुँगा कोयला खदान परियोजना को लेकर भी स्थानीय स्तर पर अनेक तकनीकी प्रश्न उठ रहे हैं। कंपनी का दावा है कि प्रस्तावित भूमिगत खनन आधुनिक तकनीक से किया जाएगा, जिससे सतही वन क्षेत्र, जलस्रोत और आबादी पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा तथा क्षेत्र के युवाओं को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। कंपनी यह भी कहती है कि कोल ब्लॉक से प्राप्त कोयला उसके औद्योगिक संयंत्रों को ऊर्जा सुरक्षा देगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। पुरुँगा कोल ब्लॉक को लेकर जारी विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुँच…

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