धरमजयगढ़/रायगढ़।
अदानी समूह की अंबुजा सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड के लिए प्रस्तावित कोयला खदान परियोजना को लेकर ग्रामीणों का विरोध अब उबाल पर है। पर्यावरणीय जनसुनवाई स्थगित कराने की माँग को लेकर जनता सड़कों पर है, लेकिन प्रशासन के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही।
आज सैकड़ों प्रभावित और आसपास के ग्रामीण रायगढ़ कलेक्टर से मिलने पहुँचे — ताकि अपनी बात सीधे प्रशासन के सामने रख सकें। लेकिन कलेक्टर कार्यालय तक पहुँचने से पहले ही लोहे के बेरीकेट्स और पुलिस बल की दीवार खड़ी कर दी गई थी।
जनता सवाल कर रही थी — “क्या अब अपनी ही सरकार से मिलने के लिए भी अनुमति लेनी पड़ेगी?”
जब ग्रामीणों ने बेरीकेट्स पार करने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। मौके पर माहौल गरम हो गया। महिलाएँ, बुजुर्ग, युवा — सब एक स्वर में चिल्ला उठे कि हम अपनी जमीन-जंगल-जिंदगी बचाने आए हैं, कोई अपराध करने नहीं। काफी देर तक अफसर कार्यालय के भीतर से बाहर झाँकते रहे। आखिरकार, बड़ी मुश्किल से कुछ अधिकारी बेरीकेट्स तक आये, जहाँ ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और सवालों की बौछार कर दी —
“जब ग्रामसभा की सहमति नहीं, जब लोग तैयार नहीं — तो किसके लिए जनसुनवाई?”
ग्रामीणों ने साफ कहा कि यह जनसुनवाई नहीं, जनविरोधी सुनवाई है। जब तक उनकी आपत्तियों का समाधान नहीं होता, वे हर कीमत पर इस प्रक्रिया को रोकेंगे।
क्या यही लोकतंत्र है, जहाँ जनता को अपनी ही पीड़ा कहने से रोका जा रहा है?
जनता का सब्र अब टूटने की कगार पर है — और यदि प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो यह विरोध सिर्फ आवाज़ नहीं, आंदोलन की गूँज बनेगा।
