रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद राधेश्याम राठिया इन दिनों धरमजयगढ़ क्षेत्र में अपनी सक्रियता के कारण सुर्खियों में हैं। छोटे-बड़े सभी आयोजनों में उनकी उपस्थिति, नगर पंचायत और जनपद पंचायत चुनावों में उनकी दिलचस्पी ने राजनीतिक हलकों में अटकलों को जन्म दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में धरमजयगढ़ सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।

अगर ऐसा होता है, तो उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के मजबूत नेता और तीन बार से लगातार विधायक लालजीत सिंह राठिया से होगा, जो क्षेत्र में अपराजेय माने जाते रहे हैं। लालजीत सिंह ने लगातार तीन चुनावों में जीत दर्ज कर कांग्रेस का किला मजबूत बनाए रखा है, लेकिन राधेश्याम राठिया की बढ़ती सक्रियता और उनकी राजनीतिक पकड़ इस बार मुकाबले को बेहद रोमांचक बना सकती है।
लालजीत राठिया को मिलेगी कड़ी चुनौती ?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राधेश्याम राठिया की सक्रियता कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकती है। भाजपा यदि उन्हें उम्मीदवार बनाती है, तो यह मुकाबला सीधे दो राठिया नेताओं के बीच होगा, जहां आदिवासी मतदाताओं का झुकाव निर्णायक साबित होगा।
धरमजयगढ़ में भाजपा पिछले तीन चुनावों से जीत दर्ज नहीं कर पाई है, लेकिन राधेश्याम राठिया की लोकप्रियता और उनके संसदीय क्षेत्र में किए गए विकास कार्य उन्हें मजबूत दावेदार बना सकते हैं। वहीं, लालजीत सिंह राठिया अपनी जमीनी पकड़ और पार्टी के प्रभाव के चलते अब तक अजेय साबित हुए हैं।
क्या भाजपा बदल पाएगी खेल?
यदि भाजपा राधेश्याम राठिया को टिकट देती है, तो चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। भाजपा को उम्मीद होगी कि लोकसभा में उनकी पकड़ का फायदा विधानसभा में भी मिलेगा, जबकि कांग्रेस इसे एक आसान लड़ाई मानने की गलती नहीं करेगी।