धरमजयगढ़ – छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों ने शासकीयकरण (स्थायी नियुक्ति) की अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर व्यापक हड़ताल शुरू की है। इस हड़ताल में 10,000 से अधिक पंचायत सचिव शामिल हैं, जिससे प्रदेशभर में सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है !:पंचायत सचिव लंबे समय से परिवीक्षा अवधि के बाद शासकीयकरण की मांग कर रहे हैं। पूर्व में भी इस मांग को लेकर हड़तालें हुई हैं, जैसे कि मार्च 2023 में और जुलाई 2024 में सचिवों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी!

तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आश्वासन के बाद मई 2023 में हड़ताल स्थगित की गई थी!
वर्तमान स्थिति: हाल ही में, भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में पंचायत सचिवों के शासकीयकरण का वादा किया था। लेकिन, तीन महीने बीतने के बावजूद, इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे नाराज होकर, पंचायत सचिवों ने पुनः हड़ताल का मार्ग अपनाया है। हड़ताल के कारण राज्य के विभिन्न जिलों में सरकारी कार्य ठप हो गए हैं। ग्राम पंचायतों में ताले लगे हैं, जिससे ग्रामीण विकास से संबंधित योजनाओं और सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। राज्य सरकार ने हड़ताल समाप्त करने की अपील की है और समाधान निकालने का आश्वासन दिया है। हालांकि, पंचायत सचिव संघ का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, हड़ताल जारी रहेगी। यदि सरकार शीघ्र ही सचिवों की मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाती है, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है, जिससे राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।
यह स्थिति राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसे सुलझाने के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।
अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते है!
शासकीयकरण को लेकर फिर आंदोलन की राह पर पंचायत सचिव
धरमजयगढ़ – छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों का गुस्सा अब चरम पर है! सरकार की बेरुखी और चुनावी वादों की अनदेखी के खिलाफ 10,000 से ज्यादा पंचायत सचिवों ने ऐतिहासिक हड़ताल का बिगुल फूंक दिया है।

प्रदेशभर में प्रशासन ठप हो चुका है, गांवों में विकास कार्य रुक गए हैं, और सचिवों की एक ही मांग गूंज रही है—
“मोदी की गारंटी पूरी करो!”
क्या है पंचायत सचिवों की मांग?
“मोदी की गारंटी” के तहत भाजपा ने चुनाव से पहले पंचायत सचिवों को शासकीयकरण (स्थायी नौकरी) देने का वादा किया था। लेकिन तीन महीने बीत चुके हैं, और सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सड़कों पर उबाल: सरकार के खिलाफ आर-पार की टक्कर!
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर और जगदलपुर समेत पूरे राज्य में पंचायत सचिवों का आंदोलन बेकाबू हो रहा है।
- सरकारी दफ्तरों में ताले लटक चुके हैं।
- पंचायतों में योजनाएं ठप हो गई हैं।
- हजारों सचिव सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
पंचायत सचिव संघ का सीधा आरोप:
“चुनाव के समय वादा किया, अब धोखा मिल रहा है! सड़क से विधानसभा तक लड़ाई लड़ेगे!”
विपक्ष का वार – “मोदी की गारंटी = धोखा?”
विपक्ष ने इस मुद्दे को लपक लिया है। कांग्रेस समेत अन्य दल भाजपा सरकार को घेरते हुए कह रहे हैं—
“चुनाव से पहले झूठे वादे किए गए, अब सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है! यही है मोदी की गारंटी?”
सरकार की सफाई, लेकिन सचिव नहीं मानेंगे!
राज्य सरकार ने हड़ताल खत्म करने की अपील की है और जल्द समाधान निकालने का दावा किया है। लेकिन सचिवों का साफ जवाब है—
“अब झूठे आश्वासन नहीं, हमें सिर्फ शासकीयकरण चाहिए!”
आगे क्या? बड़ा जनआंदोलन बनने की ओर!
अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस फैसला नहीं लिया, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी उग्र प्रदर्शन में बदल सकता है।

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