घरघोड़ा। भाजपा ने सोचा था कि बहुमत के घोड़े पर सवार होकर नगर पंचायत उपाध्यक्ष की कुर्सी पर आराम से बैठ जाएगी, लेकिन कांग्रेस ने सिर्फ चार पार्षदों के सहारे ऐसी चाल चली कि 9 वोट लेकर जीत दर्ज कर ली। इधर भाजपा वाले अपनी संख्या गणना में ही उलझे रह गए, उधर कांग्रेस ने राजनीति के ककहरे में नया अध्याय जोड़ दिया।

भाजपा: “हम बहुमत में थे, फिर भी हार गए?”
जब कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत का ऐलान हुआ, तो भाजपा खेमे में हलचल मच गई। एक वरिष्ठ नेता ने अपनी टोपी उतारकर माथा खुजलाया और कहा,
“हम तो बहुमत में थे, फिर भी हार गए?”
पीछे से किसी ने धीरे से कहा, “बस यही भूल कर दी थी, जो बहुमत पर ज्यादा भरोसा कर लिया!”
भाजपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि कांग्रेस ने चमत्कार कर दिया। लेकिन कांग्रेस समर्थकों ने जवाब दिया, चमत्कार नहीं, भाईचारा जीता है!”
भाजपा को ये भाईचारा कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गया और उनकी ‘गद्दी’ आंखों के सामने से सरक गई।
“बाहुबल नहीं, ‘बुद्धिबल’ से मारी बाज़ी”
एक भाजपा नेता ने अफसोस जताते हुए कहा,
“हमने सोचा था कि बहुमत हमारे साथ है, पर कांग्रेस ने चालें ऐसी चलीं कि कुछ अपने भी पराये हो गए!”
कांग्रेस की ओर से जवाब आया,
“ये राजनीति है, यहां सिर गिनने से ज्यादा, दिल जीतना जरूरी होता है!”
अब भाजपा खेमे में हार के कारणों पर शोध शुरू हो गया है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि एक नेता ने गुस्से में कहा,
“आगे से बहुमत की नींद मत सोना, नहीं तो कांग्रेस सपनों में भी जीत ले जाएगी!”
अब भाजपा ने तय किया है कि संख्या बल पर सोने के बजाय, जागकर चालें सीखनी होंगी। वरना अगली बार चार की जगह दो पार्षद लेकर भी कांग्रेस चमत्कार कर देगी!