रायगढ़: रायगढ़ जिले में उद्योगपतियों की मनमानी चरम पर है, और धनवादा पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। वन विभाग की ढीली कार्यशैली और अधिकारियों की संदिग्ध चुप्पी के चलते वन संरक्षण अधिनियम को सरेआम रौंदा जा रहा है। बिना अनुमति के जंगलों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य जारी है, लेकिन प्रशासनिक अमला आंखें मूंदे बैठा है।

सूत्रों की मानें तो वन विभाग की जांच में खुद इस बात की पुष्टि हुई थी कि धनवादा कंपनी ने वन संरक्षण अधिनियम (FCA) का उल्लंघन किया है, जिसके बाद प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ ही समय बाद प्रतिबंधित वन भूमि पर फिर से काम शुरू कर दिया गया! सवाल यह उठता है कि आखिर किसके इशारे पर यह खेल चल रहा है? क्या वन विभाग ने दबाव में आकर चुप्पी साध ली, या फिर कोई बड़ा लेन-देन हुआ?

प्रशासनिक मिलीभगत या भ्रष्टाचार?
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब यह पता चलता है कि वन विभाग के आला अधिकारी केंद्रीय मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। गैर-वन भूमि पर भी बिना मंजूरी के काम जारी है, और महीनों पहले की गई शिकायतें धूल फांक रही हैं।

इतना ही नहीं, अब खबर यह भी है कि धनवादा कंपनी अपने प्रोजेक्ट को वैध बनाने के लिए “ऊपर तक” अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रही है। अधिकारी भी “जियो और जीने दो” की नीति पर चलते हुए कंपनी को मनमानी करने की खुली छूट दे रहे हैं। सवाल यह है कि क्या वन विभाग वाकई कोई कार्रवाई करेगा, या फिर इस जंगलराज के आगे घुटने टेक देगा?


वन संरक्षण अधिनियम का यह खुला उल्लंघन सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि जल्द ही सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला उद्योगपतियों और प्रशासन की गहरी सांठगांठ की जीती-जागती मिसाल बन जाएगा!