धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र में वन अधिकार पत्र वितरण को लेकर चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। आरोप है कि वास्तविक हकदारों को नजरअंदाज कर रसूखदारों को मनमाने तरीके से पट्टे बांटे गए। इतना ही नहीं, एक ही परिवार के कई सदस्यों को अलग-अलग पट्टे देकर नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं।

वन अधिकार कानून का मजाक!
वन अधिकार अधिनियम का उद्देश्य वनों पर आश्रित गरीब और आदिवासी परिवारों को उनका हक दिलाना था, लेकिन यहां इसका दुरुपयोग कर प्रभावशाली लोगों ने जंगलों की जमीन हथिया ली। बताया जा रहा है कि इन तथाकथित लाभार्थियों को जंगलों के अंदर ही पट्टे दिए गए हैं, यानी जिन पेड़ों-झाड़ियों पर उनका दावा है, वे पहले से ही वन विभाग के अधीन हैं!
एक परिवार, कई पट्टे – हकदार बेघर!
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कई रसूखदारों ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनवाकर वन अधिकार पत्र हासिल कर लिया। वहीं, जो असल में इन अधिकारों के हकदार थे, वे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रह गए।
गुस्साए ग्रामीण, बड़े आंदोलन की चेतावनी!
इस घोटाले से नाराज स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने इसे जंगल की लूट करार दिया है। वे इस अन्याय के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
- पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- फर्जी रूप से जारी किए गए सभी पट्टों को तत्काल निरस्त किया जाए।
- वास्तविक हकदारों को उनका अधिकार दिया जाए।
यदि प्रशासन जल्द कोई कार्रवाई नहीं करता, तो क्षेत्र में बड़े आंदोलन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अब देखने वाली बात यह होगी कि शासन-प्रशासन इस गंभीर अनियमितता पर क्या कदम उठाता है या फिर यह घोटाला भी फाइलों में दफन हो जाएगा!

