छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने हस्तलिखित बजट पेश किया, ऐतिहासिक पहल की मिसाल
रायपुर – छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने आज राज्य विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 का हस्तलिखित बजट प्रस्तुत किया। यह ऐतिहासिक कदम डिजिटल युग में पारंपरिक विधियों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
बजट की मुख्य विशेषताएं
कृषि और किसान कल्याण – किसानों के लिए नई योजनाएं लागू की गई हैं, जिनमें सब्सिडी और ऋण माफी से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य – सरकारी स्कूलों और अस्पतालों के बजट में वृद्धि की गई है, जिससे जनता को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
रोजगार और उद्योग – स्टार्टअप्स और युवाओं के लिए नए रोजगार सृजन कार्यक्रमों की घोषणा की गई है।
बुनियादी ढांचा – सड़क, बिजली और पानी की योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।
हस्तलिखित बजट की खासियत
ओपी चौधरी द्वारा स्वयं हस्तलिखित इस बजट को पारंपरिक विधि और नवीनता का संगम बताया जा रहा है। इससे न केवल एक सांस्कृतिक संदेश दिया गया है बल्कि प्रामाणिकता और पारदर्शिता को भी प्राथमिकता मिली है।
यह बजट राज्य के आर्थिक विकास की दिशा में कितना प्रभावी साबित होगा, यह आने वाले समय में साफ होगा।
भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया: बजट या मुशायरा?
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी द्वारा प्रस्तुत हस्तलिखित बजट पर तंज कसा है। उन्होंने बजट के भाषण को लेकर सवाल उठाते हुए कहा, “यह बजट भाषण है या मुशायरा?”
काव्यात्मक अंदाज पर कटाक्ष
भूपेश बघेल ने कहा कि बजट में वित्तीय आंकड़ों और ठोस योजनाओं की बजाय शायरी और कविताओं को ज्यादा महत्व दिया गया। उन्होंने इस पर व्यंग्य करते हुए कहा कि ऐसा अंदाज पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में देखा जाता था, जब वहां के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी बजट भाषण में शेरो-शायरी का प्रयोग करते थे। अब यह परंपरा छत्तीसगढ़ में भी शुरू हो गई है।
नीतियों और प्रावधानों पर सवाल
बघेल ने यह भी कहा कि बजट में कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं, लेकिन इनके क्रियान्वयन पर संदेह बना हुआ है। उन्होंने मांग की कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन योजनाओं के लिए फंडिंग कहां से आएगी और उनका लाभ वास्तविक रूप से जनता तक कैसे पहुंचेगा?
क्या यह केवल दिखावा है?
भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि हस्तलिखित बजट पेश करने का फैसला महज एक नाटकीयता है, जिसका वास्तविक प्रशासनिक मूल्य सीमित है। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में, जहां पारदर्शिता और तेजी महत्वपूर्ण हैं, वहां हाथ से लिखे बजट को पेश करना सिर्फ लोकप्रियता बटोरने की कोशिश है।
