रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कांग्रेस के संगठन प्रभारी मलकियत सिंह गेंदा से लंबी पूछताछ को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे “अनुचित और दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए आरोप लगाया कि ईडी भाजपा के इशारे पर काम कर रही है और कांग्रेस नेताओं को अनावश्यक रूप से परेशान कर रही है।
ईडी पर पक्षपात का आरोप
दीपक बैज ने सवाल उठाया कि यदि ईडी को राजनीतिक दलों के खर्चों और कार्यालयों के निर्माण की जांच करनी ही है, तो वह केवल कांग्रेस तक ही सीमित क्यों है? उन्होंने कहा कि यदि ईडी में साहस है, तो उसे भाजपा के 150 करोड़ रुपये की लागत से बने कुशाभाऊ ठाकरे परिसर और दिल्ली में आरएसएस के 500 करोड़ रुपये की लागत से बने कार्यालय की भी जांच करनी चाहिए।
भाजपा कार्यालय की भी हो जांच?
कांग्रेस ने रायपुर में भाजपा के कार्यालय ‘एकात्म परिसर’ को लेकर भी सवाल उठाए हैं। दीपक बैज ने कहा कि यह भूमि 1 रुपये के किराए पर दी गई और बाद में इसे व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स में बदल दिया गया, जिससे भाजपा को करोड़ों की कमाई हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि कांग्रेस कार्यालय की जांच हो सकती है, तो भाजपा कार्यालयों की जांच क्यों नहीं?
राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई
कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया और इसे भाजपा के इशारे पर उठाया गया कदम करार दिया। दीपक बैज ने कहा कि ईडी भाजपा के “अनुबंधित संगठन” की तरह काम कर रही है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है।
कांग्रेस का दो टूक संदेश
कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि वह अपने प्रत्येक रुपये का हिसाब देने को तैयार है, लेकिन जांच की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। कांग्रेस ने मांग की कि यदि उनकी पार्टी के कार्यालयों की जांच हो रही है, तो भाजपा के कार्यालयों और खर्चों की भी उतनी ही गहराई से जांच की जानी चाहिए।
क्या ईडी भाजपा के दफ्तरों की भी जांच करेगी? या फिर जांच की यह प्रक्रिया केवल विपक्ष तक ही सीमित रहेगी? यह सवाल अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।