
धरमजयगढ़: स्वच्छ भारत अभियान को लेकर नगर में चल रहा फीडबैक अभियान मजाक बन गया है। नगर पंचायत द्वारा नागरिकों से मोबाइल नंबर लेकर सिर्फ ओटीपी पूछकर तथाकथित फीडबैक लिया जा रहा है। यह प्रक्रिया न केवल संदेहास्पद है, बल्कि स्वच्छता अभियान की सच्चाई को भी उजागर कर रही है।
नगर की हालत बद से बदतर होती जा रही है। हर गली-कूचे में धूल और कचरे के ढेर लगे हुए हैं, लेकिन नगर पंचायत इसे स्वच्छ साबित करने के लिए नागरिकों से जबरन फीडबैक जुटाने का नाटक कर रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि न तो नागरिकों से नगर की सफाई को लेकर कोई सवाल पूछा जा रहा है, न ही उनकी वास्तविक राय ली जा रही है। बस मोबाइल नंबर लेकर ओटीपी डलवाया जा रहा है और इसे ‘सकारात्मक फीडबैक’ बता दिया जा रहा है।
सवालों से बचती नगर पंचायत
यह पूरा मामला दर्शाता है कि नगर पंचायत जिम्मेदारियों से बचने और झूठी वाहवाही लूटने के लिए एक दिखावटी प्रक्रिया अपना रही है। सवाल यह उठता है कि अगर नगर सच में स्वच्छ है, तो सही तरीके से फीडबैक लेने में क्या दिक्कत है? क्यों नागरिकों की राय लिए बिना ओटीपी के सहारे आंकड़े जुटाए जा रहे हैं?
झूठे आंकड़ों से नहीं छिपेगी गंदगी
स्वच्छ भारत अभियान का असली मकसद नगर को स्वच्छ बनाना था, न कि कागजों पर आंकड़ों की बाजीगरी करना। नगर पंचायत का यह नाटक न केवल अभियान की गंभीरता को ठेंगा दिखा रहा है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
नगर के जागरूक नागरिकों का कहना है कि सिर्फ ओटीपी डालकर फीडबैक लेना सरासर धोखाधड़ी है। यह अभियान नगर की सफाई को सुधारने के लिए होना चाहिए, न कि झूठे आंकड़ों के बल पर स्वच्छता की मनगढ़ंत तस्वीर पेश करने के लिए। अगर नगर पंचायत को सच में नगर की सफाई की परवाह है, तो उसे जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए, न कि ओटीपी के खेल में जनता को बेवकूफ बनाना चाहिए।
नगरवासियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और अब सवाल यह है कि प्रशासन कब जागेगा? क्या कोई इस ढोंग के खिलाफ कार्रवाई करेगा या फिर यह फर्जी फीडबैक ही ‘स्वच्छता’ का नया पैमाना बन जाएगा?