दुर्गापुर कोयला खनन परियोजना के विरोध में सैकड़ों ग्रामीणों ने सौंपा सामूहिक ज्ञापन, सर्वे रोकने की मांग — ग्रामीणों की चेतावनी: जब तक सहमति नहीं, तब तक एक इंच जमीन नहीं देंगे
धरमजयगढ़ – एस.ई.सी.एल. की प्रस्तावित दुर्गापुर कोयला खनन परियोजना को लेकर धरमजयगढ़ अंचल में आक्रोश की ज्वाला भड़क उठी है। प्रभावित ग्राम दुर्गापुर, शाहपुर, धरमजयगढ़, धरमजयगढ़ कालोनी, तराईमार, बायसी और बायसी कालोनी के सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं सहायक भू-अर्जन अधिकारी को सामूहिक ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने प्रशासन को साफ शब्दों में चेतावनी दी “जब तक हमारी सहमति नहीं, तब तक न सर्वे होगा, न खनन। अगर ज़बरदस्ती की गई तो हम सड़कों पर उतरेंगे।”
💥प्रबंधन पर गुमराह करने का आरोप💥
ग्रामीणों ने अपने आवेदन में उल्लेख किया कि एस.ई.सी.एल. प्रबंधन लगातार किसानों को भ्रमित करने और जबरन सहमति दिखाने का प्रयास कर रहा है।
कई बार बैठकों का नाटक रचा गया, लेकिन अब तक किसी भी बैठक में किसानों के साथ स्पष्ट मुआवजा, पुनर्वास या वैकल्पिक व्यवस्था पर कोई ठोस बात नहीं हुई।
इसके बावजूद कंपनी की ओर से प्रभावित जमीनों का खसरा, रकबा और वृक्ष परिसंपत्ति सर्वे कराने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है।
ग्रामीणों ने सवाल उठाया — “जब सहमति ही नहीं बनी, तो सर्वे की जल्दबाज़ी क्यों? क्या प्रशासन कंपनी के दबाव में काम कर रहा है?”
👉 पेसा कानून की अनदेखी पर ग्रामीणों का आक्रोश
ग्रामवासियों ने प्रशासन को याद दिलाया कि यह पूरा इलाका अधिसूचित क्षेत्र है और यहां पेसा कानून लागू है।
इस कानून के तहत किसी भी प्रकार की भूमि अधिग्रहण, सर्वे या खनन कार्य ग्राम सभा की अनुमति के बिना पूरी तरह अवैध है।
ग्रामीणों ने बताया कि पहले ही सभी प्रभावित पंचायतों की ग्राम सभाओं ने प्रस्ताव पारित कर परियोजना का विरोध दर्ज किया था, जिसकी जानकारी शासन-प्रशासन को लिखित रूप में दी जा चुकी है।
फिर भी प्रशासन द्वारा सर्वे की तैयारी पेसा कानून की खुली अवहेलना और ग्रामीण अधिकारों का अपमान है।
“हम अपनी जमीन नहीं देंगे” — ग्रामीणों की बुलंद आवाज़ “
ग्रामवासियों ने बैठक के दौरान जोरदार नारों के साथ विरोध दर्ज कराया “जल-जंगल-जमीन हमारी पहचान है, इसे किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे।”
“हम खुद भूखे रह लेंगे, लेकिन खदान को नहीं आने देंगे।”

ग्रमीणों का कहना है कि कंपनी और प्रशासन दोनों यह भूल गए हैं कि यह वही धरमजयगढ़ है, जहां लोगों ने पहले भी अपनी ज़मीन बचाने के लिए बड़े आंदोलन किए हैं।
👉 प्रशासन को अल्टीमेटम: सर्वे बंद नहीं हुआ तो आंदोलन तय 👈
ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन में साफ शब्दों में लिखा है कि जब तक सभी प्रभावित ग्रामों के किसानों की पूर्ण सहमति और उचित मुआवजा नीति तय नहीं होती, तब तक किसी भी प्रकार का सर्वे, ड्रोन सर्वे या अन्य भूमि संबंधित गतिविधि नहीं होने दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि अगर फिर भी प्रशासन ने कंपनी के इशारे पर ज़बरदस्ती की, तो धरमजयगढ़ से दुर्गापुर तक जनआंदोलन की लपटें उठेंगी, और उसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और एस.ई.सी.एल. प्रबंधन की होगी।
