धरमजयगढ़ में ज़मीन घोटाले का खुलासा: किसान की ज़मीन हड़पने के साथ-साथ रकबा भी बढ़ाकर दो बार बेची गई!
बलपेदा गाँव से जुड़े ज़मीन घोटाले में अब एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। किसान की ज़मीन को न सिर्फ़ धोखे से बेचा गया, बल्कि ज़मीन का रकबा भी फर्ज़ी तरीके से बढ़ाकर दो अलग-अलग क्रेताओं को रजिस्ट्री कर दी गई। पीड़ित परिवार – किसान की पत्नी और बेटी – इस दोहरी लूट के खिलाफ न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
किसान की मृत्यु के बाद उसकी ज़मीन बिना पत्नी और बेटी की अनुमति या सहमति के बेची गई। अब पीड़ित परिवार उच्च अधिकारियों से रजिस्ट्री निरस्त कराने की मांग कर रहा है।
रकबा में गड़बड़ी: तीन-चार गुना ज़्यादा ज़मीन की रजिस्ट्री
नवीन जानकारी के अनुसार, भू-अधिकार अभिलेख में दर्ज वास्तविक भूमि से कई गुना अधिक रकबा दर्शाकर ज़मीन की रजिस्ट्री दो अलग-अलग लोगों के नाम कर दी गई। यह गड़बड़ी न तो नामांतरण के समय पकड़ी गई, न ही रजिस्ट्री कार्यालय ने संज्ञान लिया। इसे मात्र लापरवाही कहना उचित नहीं होगा — यह निजी लाभ के लिए किया गया सोचा-समझा खेल प्रतीत होता है।
प्रशासनिक अनदेखी से दलाल बेखौफ़
बलपेदा के अलावा कापू, डगभोना और रायमेर जैसे क्षेत्रों में भी ज़मीन माफिया खुलेआम फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। सरकारी ज़मीन तक को नहीं छोड़ा जा रहा, और प्रशासन की चुप्पी ने इन दलालों के हौसले और बुलंद कर दिए हैं।
हितग्राहियों की मांग: उच्चस्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई
पीड़ित परिवार और स्थानीय ग्रामीणों ने इस पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर ऐसे मामलों पर रोक नहीं लगाई गई, तो आने वाले समय में कई और परिवारों की ज़िंदगियाँ उजड़ सकती हैं।
(यह समाचार आगे की जानकारी मिलने पर अपडेट किया जाएगा)
इस घोटाले में ज़मीन का कुल रकबा बढ़ाकर दर्शाया गया और वास्तविक अभिलेखों की अनदेखी कर रजिस्ट्री की गई। यह कार्यवाही दो अलग-अलग खरीदारों के नाम पर की गई, जो स्वयं में नियमों का सीधा उल्लंघन है। आश्चर्य की बात यह है कि इस प्रक्रिया में भू-अधिकार अभिलेख, नामांतरण और रजिस्ट्री कार्यालय – सभी ने इस गड़बड़ी को नजरअंदाज़ किया।
अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
पीड़ितों और स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह सब बिना “ऊपर” के सहयोग के संभव नहीं था। उनका आरोप है कि कुछ अधिकारी निजी लाभ के लिए जानबूझकर आँख मूँदकर बैठे रहे। अब इस मामले में अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच की मांग हो रही है।
फर्जीवाड़ा केवल बलपेदा तक सीमित नहीं
धरमजयगढ़ के कापू, डगभोना और रायमेर क्षेत्रों में भी ज़मीन दलालों द्वारा इसी तरह के फर्जीवाड़े किए जा रहे हैं। सरकारी ज़मीन तक को निशाना बनाया जा रहा है, और प्रशासन की अनदेखी ने इनकी हिम्मत और बढ़ा दी है।
पीड़ित हितग्राही अब इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह व्यवस्था पर से भरोसा उठ जाएगा।