धरमजयगढ़ वन मंडल के उदउदा गाँव का मामला , पौधरोपण कार्य में अनियमितताओं की आशंका !
धरमजयगढ़ – इस मामले में यह भी सामने आया कि एक ही बिल वाउचर का इस्तेमाल दो बार अलग-अलग फर्मों को भुगतान के लिए किया गया।

पहली बार पॉलीथिन बैग की खरीदी के नाम पर। दूसरी बार डीएपी और वर्मी कम्पोस्ट खाद के भुगतान के लिए भुगतान बताया गया है , जिसे FTO द्वारा भुगतान करना दर्शाया गया है , लेकिन दो अलग अलग फर्म या संस्था को एक ही बिल बाउचर से भुगतान न तो नियम के दायरे में है , न ही स्वाभाविक है !

आश्चर्यजनक रूप से दोनों बार भुगतान की राशि समान थी, लेकिन अलग-अलग तारीखों में इसे मंजूर किया गया। यह दर्शाता है कि बिना किसी ठोस आधार के दो अलग-अलग आपूर्तिकर्ताओं को एक ही बिल के आधार पर भुगतान किया गया, जो नियमों के पूरी तरह खिलाफ है।
क्या है ” अन्य “लाखों रुपये का रहस्य!
सिर्फ यही नहीं, बल्कि अन्य सामग्री के नाम पर भी 15 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया। परंतु हैरान करने वाली बात यह है कि इस भुगतान का कोई स्पष्ट विवरण नहीं है।
किस प्रकार की सामग्री खरीदी गई?
कौन-सी फर्म ने इसकी आपूर्ति की?
इसकी मात्रा कितनी थी?
क्या इस सामग्री की वाकई जरूरत थी?
इन सभी सवालों के जवाब प्रशासन के पास शायद नहीं हैं। दस्तावेजों में ‘अन्य सामग्री’ का उल्लेख तो है, लेकिन उसकी कोई सूची नहीं दी गई। यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और हेराफेरी की ओर इशारा करता है।
धरमजयगढ़ वन मंडल का यह मामला लापरवाही से ज्यादा एक संगठित भ्रष्टाचार का संकेत देता है। अगर समय रहते इसकी जांच नहीं हुई, तो यह लाखों रुपये का गबन सरकारी फाइलों में दफन हो सकता है। इधर स्थानीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस संदेहास्पद मामले की जांच के लिये स्थानीय लोगों ने उच्च स्तरीय जांच के लिये पत्राचार शुरू कर दिया है , छत्तीसगढ़ राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्रालय , केंद्रीय वन मंत्री और केंद्रीय सतर्कता आयोग को शिकायत और जांच के लिये मसौदा तैयार कर लिया गया है !