मनरेगा वृक्षारोपण योजना में घोटाले की बू: 20,000 पौधे लगे या आंकड़ों का जाल?
रायगढ़/धरमजयगढ़ – “मनरेगा वृक्षारोपण घोटाले की आशंका: लाखों खर्च, लेकिन पौधे नदारद!
रायगढ़, छत्तीसगढ़: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत रायगढ़ जिले की उदुदा ग्राम पंचायत में वृक्षारोपण योजना के नाम पर बड़ा खेल सामने आ रहा है। सरकारी दस्तावेजों और मौके की हकीकत में बड़ा अंतर दिख रहा है, जिससे भारी वित्तीय अनियमितता की आशंका पैदा हो गई है। से अधिक पौधे लग चुके हैं,” वन परिक्षेत्र अधिकारी का दावा है। लेकिन सरकारी पोर्टल, सूचना पट्ट और जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
बड़ा सवाल: जब पौधे लग चुके, तो योजना अधूरी क्यों?
योजना का बजट: ₹38.35 लाख
वास्तविक खर्च: ₹74 लाख से अधिक!
काम की स्थिति: अब भी ‘On Going’!
सामाजिक अंकेक्षण: नहीं किया गया!
श्रमिक लागत: कोई स्पष्ट जानकारी नहीं!
क्या यह सरकारी आंकड़ों में गड़बड़ी है या घोटाले की शुरुआत?
कागजों में हरियाली, जमीन पर सूनी ज़मीन!
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार( वन परिक्षेत्र अधिकारी के कथननुसार मनरेगा के तहत 20,000 पौधे लगाने का दावा किया गया था, लेकिन आज तक यह काम ‘चालू’ दिखाया जा रहा है।
अगर पौधे लग गए हैं, तो योजना पूर्ण क्यों नहीं?
अगर 20,000 पौधे जीवित हैं, तो इसका दस्तावेजी प्रमाण कहां है?
बजट ₹38 लाख था, खर्च ₹74 लाख से अधिक क्यों हुआ?
घोटाले की गूंज: आंकड़े कहां लड़खड़ा रहे हैं?
बजट से अधिक खर्च: जब स्वीकृत राशि ₹38 लाख थी, तो खर्च ₹74 लाख से अधिक कैसे हो गया?
मजदूरों का हक़: श्रमिकों की संख्या और भुगतान का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं।
सामाजिक अंकेक्षण नदारद: सरकार के नियमों के बावजूद अभी तक कोई ऑडिट क्यों नहीं हुआ? आखिर सामाजिक लेखा परीक्षा नहीं की गई है। यह मनरेगा के तहत एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो स्थानीय समुदाय को कार्य की निगरानी करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अवसर देती है।इसका अभाव जवाबदेही की कमी और संभावित अनियमितताओं को छिपाने की संभावना को दर्शाता है !
रिपोर्ट बनाम हकीकत: सामाजिक लेखा परीक्षा नहीं की गई है। यह MGNREGA के तहत एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो स्थानीय समुदाय को कार्य की निगरानी करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अवसर देती है।इसका अभाव जवाबदेही की कमी और संभावित अनियमितताओं को छिपाने की संभावना को दर्शाता है ! अधिकारी खुद कह रहे हैं कि “20,000 से ज्यादा पौधे लग चुके हैं,” तो फिर साइन बोर्ड और सरकारी पोर्टल पर गड़बड़ी क्यों?
यह सिर्फ मानवीय भूल है या किसी बड़े खेल का हिस्सा?
अगर गलती हुई, तो इसे अब तक सुधारा क्यों नहीं गया?
अगर घोटाला हुआ, तो इसमें कौन-कौन शामिल है?
क्या यह सरकारी आंकड़ों में हेरफेर का मामला है?
क्या किसी को लाभ पहुंचाने के लिए बजट में गड़बड़ी की गई?
गलत एंट्री या हेरफेर की जांच हो – यह महज गलती नहीं लगती, बल्कि गहरी साजिश हो सकती है।
अगर गड़बड़ी मिली, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो !
यह मामला सिर्फ एक वृक्षारोपण योजना का नहीं, बल्कि सरकार की पारदर्शिता और विश्वसनीयता का भी है। अगर आंकड़ों की ये गड़बड़ी किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है, तो यह सिर्फ शुरुआत हो सकती है। सरकार को जल्द से जल्द एक्शन लेना होगा, वरना यह मनरेगा का एक और बड़ा घोटाला बनकर उभरेगा।

