
धरमजयगढ़। लो वोल्टेज की समस्या खत्म करने के दावे इतने जोर-शोर से किए गए थे कि जनता को लगा था कि अब उनके घरों में बल्ब ट्यूब लाइट नहीं, बल्कि चांदनी चमकने लगेगी। अध्यक्ष महोदय ने भी इस मुद्दे पर जोर दिया था, लेकिन लगता है कि बिजली विभाग ने उनकी बातों को लो वोल्टेज पर ही सुना। नतीजा? जनता अब भी मोमबत्ती की रोशनी में “आधुनिक भारत” का सपना देख रही है! नए नवेले अध्यक्ष ने बिजली सुधारने की ठानी, पर बिजली ने उन्हें ही झटका दे दिया!
धरमजयगढ़ में बिजली की समस्या सुलझाने की कोशिश करना कुछ वैसा ही है जैसे छतरी लेकर तूफान रोकने की कोशिश करना! नए नवेले अध्यक्ष महोदय भी इसी जोश के साथ मैदान में उतरे थे – जनता के साथ खड़े होकर समस्या के समाधान का बीड़ा उठाया, लेकिन बिजली विभाग ने उनके इस जोश को लो वोल्टेज पर डाल दिया।
कहते हैं कि नया जोश और ताजा जज़्बा पहाड़ भी हिला सकता है, लेकिन धरमजयगढ़ की बिजली व्यवस्था पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। अध्यक्ष महोदय ने पूरी शिद्दत से अधिकारियों पर दबाव डाला, मीटिंग की, समाधान खोजा, लेकिन बिजली ने ऐसा “स्विच ऑफ” किया कि उनकी सारी कोशिशें फ्यूज़ हो गईं।
स्थिति अब भी वही है – जनता परेशान, पंखे सुस्त, बल्ब मंद, और बिजली विभाग मौन! मजेदार बात यह है कि बिजली इतनी अनमोल हो गई है कि अब लोग उसे देखने के लिए भी तरसने लगे हैं।
धरमजयगढ़ की जनता अब समझ चुकी है कि बिजली एक पौराणिक कथा बन चुकी है – इसके दर्शन कभी-कभी होते हैं, और जब होते हैं, तो लोग चौंक जाते हैं! अब देखना यह है कि अध्यक्ष महोदय अगली बार इस समस्या को सुलझाने की नई तरकीब सोचते हैं या फिर जनता के साथ मोमबत्ती जलाकर रोशनी करने का अभियान शुरू करते हैं!
समस्या हल करना तो दूर, अब तो बिजली विभाग ने ‘आंख-मिचौली’ का नया खेल शुरू कर दिया है। बिजली कब आएगी और कब चली जाएगी, इसका रोमांच अब किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है। किसी घर में पंखा चला तो लाइट बंद, किसी ने टीवी ऑन किया तो फ्रिज ने काम करना छोड़ दिया। इनवर्टर भी अब जवाब देने लगे हैं – “भाई, हमसे नहीं होगा!”
बिजली कटौती और लो वोल्टेज का यह अनोखा संगम देखकर धरमजयगढ़ की जनता को शक होने लगा है कि कहीं यह सरकार द्वारा ऊर्जा बचाने की नई योजना तो नहीं? आखिर, जब बिजली आएगी ही नहीं, तो लोग इस्तेमाल भी नहीं करेंगे!
बिजली विभाग के अधिकारी अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं – आश्वासन देने के! हर बार यही कहा जाता है कि “समस्या जल्द ही हल हो जाएगी” और जनता हर बार इस जुमले को बिजली की तरह पकड़ने की कोशिश करती है, लेकिन अफसोस, यह भी लो वोल्टेज में गुम हो जाता है।
अब जनता को यह सोचकर संतोष करना होगा कि धरमजयगढ़ में बिजली एक भावना बन चुकी है – महसूस तो होती है, पर दिखती नहीं!
(कृपया इसे होली समाचार न समझें )